में थाने सिमरु गणपत देवा
विघन हरण मंगल करण,
लंबोदर गणराज।
रिद्धि सिद्धि सहित पधारो ,
पूरण करज्यो काज।।
गजानंद आनंद करो दो सुख संपत में शीर
दुश्मन को सज्जन करों नित निमवा शीस
में थाने सिमरु गणपत देवा,
मारे वचनो रा पालण वाला जी
सरस्वती माता सारदा ने सिमरु,
ह्र्दय करो उजियाला जी ।
अरे निंद्रा निवारू भोले नाथ ने ......
जननी ने जायो रे उदर नहीं आयो ,
अमियों रा लाल केवाया जी। ओ
में थाने सिमर …..
पाणी सु पतलो पवन सु जीणो ,
सोभा वरणी नी जावे जी। ओ
में थाने सिमरु …..
हाथ पसारु हीरो हाथ नहीं आवे
नैनो में नहीं रे समावे जी। ओ में थाने सिमरु …..
बोलिया गोरख जती मछेंदर रा चेला
पत रे बाला ने वाली राखो जी
थाने सिमरु…..